चुनाव से पहले सीएम बघेल का बड़ा दांव, कोदो-कुटकी के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी का किया ऐलान

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Hike in Support Price of Millets in Chhattisgarh- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने शुक्रवार को राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले ‘कोदो’ और ‘कुटकी’ जैसे मोटे अनाज की खरीद के लिए समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की घोषणा की. एक अधिकारी ने कहा इस कदम से राज्य के आदिवासी क्षेत्र के किसानों को फायदा होगा जहां ये मोटे अनाज पारंपरिक रूप से उगाए जाते हैं.

जनसंपर्क विभाग के अधिकारी ने कहा, “राज्य सरकार पिछले साल के समर्थन मूल्य पर दो मोटे अनाज खरीद रही है. सीएम ने गोधन न्याय योजना (गोबर और मूत्र खरीद योजना) के लाभार्थियों को धन वितरित करने के लिए अपने आधिकारिक आवास पर आयोजित एक समारोह के दौरान समर्थन मूल्य बढ़ाने की घोषणा की.

अधिकारी के अनुसार, “केंद्र सरकार से कई बार अनुरोध करने के बावजूद, उन्होंने कोदो और कुटकी का समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया. मोटे अनाज उत्पादकों को प्रोत्साहित करने के लिए, राज्य सरकार ने कोदो का समर्थन मूल्य 3,000 रुपये प्रति क्विंटल (2022-23) से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाने का फैसला किया है. जबकि कुटकी के लिए इसे 3,100 रुपये प्रति क्विंटल (2022-23) से बढ़ाकर 3,500 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.”

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‘किसानों के हित में की बड़ी घोषणा’

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक्स पर पोस्ट किया, “मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को राशि वितरण कार्यक्रम में मिलेट्स उत्पादक किसानों के हित में की बड़ी घोषणा. उन्होंने कोदो और कुटकी के समर्थन मूल्य में वृद्धि करने की घोषणा की.”

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उन्होंने आगे लिखा,  “कोदो का समर्थन मूल्य 3000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 3200 रुपये प्रति क्विंटल तथा कुटकी का समर्थन मूल्य 3100 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 3350 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की. #छत्तीसगढ़_सरकार_भरोसे_की_सरकार.”

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महुआ बोर्ड का गठन

बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इसके संग्रहण, मूल्यवर्धन, प्रसंस्करण और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ‘महुआ बोर्ड’ का गठन करने का निर्णय लिया गया. अधिकारी ने कहा, “छत्तीसगढ़ में महुआ के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं. इसके फूल न केवल खाने योग्य होते हैं बल्कि औषधीय गुण भी रखते हैं, जबकि बीज स्वस्थ वसा का अच्छा स्रोत होते हैं.” उन्होंने कहा कि महुआ के प्रसंस्करण को बढ़ावा देने से बायोडीजल या इथेनॉल उत्पादन इकाइयों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा.

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