अब स्वास्थ्य कर्मचारियों ने भूपेश सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, प्रदेशभर में हड़ताल का असर; जानें क्या हैं मांगें
Chhattisgarh Health workers strike- अब छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य कर्माचारियों ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पांच सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ हेल्थ…
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Chhattisgarh Health workers strike- अब छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य कर्माचारियों ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पांच सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ हेल्थ फेडरेशन के कार्मचारी सोमवार से बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं. 12 संघों के फेडरेशन ने भी इन कर्मियों का साथ दिया है. स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल के चलते पीएचसी-सीएचसी में तालाबंदी जैसी स्थिति निर्मित हो गई है. बस्तर, सुकमा से लेकर कोरबा तक इसका असर दिख रहा है. वहीं आंदोलनकारियों का कहना है कि वे 22 अगस्त की दोपहर विशाल रैली निकालकर सरकार को उनका वादा याद दिलाएंगे.
जगदलपुर के पुराने मंडी परिसर में हड़ताली कर्मचारियों ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और वादा खिलाफी करने का आरोप लगाया. वहीं कोरबा और सुकमा में भी आंदोलनकारी कर्मचारियों की भूपेश सरकार के खिलाफ नाराजगी दिखी. हड़ताल में छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य फेडरेशन के डॉक्टर एसोसिएशन, डेंटल सर्जन, छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ, नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन, प्रदेश नर्सेज एसोसिएशन, परिचारिका कर्मचारी कल्याण संघ, एनएचएम संघ व छत्तीसगढ़ शासन वाहन चालक संघ सहित 12 संघों के आह्वान पर कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं.
क्या है मांगें?
स्वास्थ्यकर्मियों ने स्वास्थ्य विभाग में एएनएम, एमपीडब्ल्यू, नर्सिंग संवर्ग के कर्मचारियों की वेतन विसंगति, डॉक्टर के लंबित वेतनमान भत्ते और स्टाइपेंड, कोरोना संकटकाल का बकाया भत्ता, जूडॉ की वेतन विसंगति और डॉक्टर प्रोटेक्शन एक्ट लागू होने के बावजूद विपरीत परिस्थिति आने पर कार्रवाई न होने की मांग को लेकर हड़ताल शुरू की है. ये है उनकी मांगें-
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- बॉन्डेड चिकित्सकों को समकक्ष नियमित चिकित्सकों के बराबर वेतन.
- सेवारत चिकित्सकों के पे स्ट्रक्चर में एनपीए प्रदान की वेतन विसंगति.
- चिकित्सकों के समयमान-वेतनमान की विसंगति.
- पीजी कर रहे सर्विस डॉक्टरों की वेतनविसंगति.
- प्रदेश के चिकित्सकों को केंद्र के समान चार स्तरीय वेतनमान की मांग शामिल है.
स्वास्थ्य सेवाओं पर असर
हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा गई हैं. मेडिकल कॉलेज, जिला हास्पिटल, ग्रामीण इलाकों के पीएचसी-सीएचसी के वर्कर आंदोलन में जाने से और बुरा असर पड़ सकता है. इस हड़ताल के चलते शासकीय चिकित्सालय, स्वास्थ्य केंद्रों में ओपीडी के साथ-साथ पोस्टमार्टम और एमएलसी की सुविधा भी नहीं मिल पाएगी. नर्सों के भी हड़ताल पर जाने की वजह से वार्ड में भर्ती मरीजों को मिलने वाली सुविधा प्रभावित होगी. हालांकि हेल्थ डिपार्टमेंट वैकल्पिक व्यवस्था के जरिए काम चलाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन वह नाकाफी साबित हो सकती है.फेडरेशन का दावा है कि हेल्थ सर्विस पूरी तरह से चरमरा गई है. हड़ताल में गए स्वास्थ्य कर्मचारियों के चलते मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग छात्रों और सीनियर डॉक्टरों की मदद ली जा रही है. ताकि स्वास्थ्य सुविधाओं पर कोई बड़ा असर ना हो पाए.
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सुकमा में एक मंच पर आए शिक्षक और स्वास्थ्यकर्मी
सुकमा जिले में छ्त्तीसगढ़ शिक्षक एवं हेल्थ फेडरेशन कर्मचारी संघ के बैनर तले एक मंच पर जुट रहे हैं. सुकमा जिले के एक हजार से ज्यादा स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन प्रभावित हुआ है. फेडरेशन के सदस्य ने बताया कि पहली बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी एक मंच पर जुट रहे हैं. पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों के उप स्वास्थ्य केंद्र से लेकर शहर क्षेत्र के मेडिकल कॉलेज की सेवाएं एकसाथ प्रभावित होंगी.
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कोरबा में भी असर
कोरबा के सरकारी अस्पताल में इलाज कराने पहुंचने वाले मरीजों को बेहद परेशानी हो रही है. डॉक्टर और कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन के अफसर रविवार की देर रात तक वैकल्पिक व्यवस्था में जुटे रहे. अस्पतालों में मेडिकल कॉलेज, जिला खनिज न्यास मद के तहत पदस्थ डॉक्टर, जीवन दीप समिति सहित अन्य मद के संविदा में पदस्थ कर्मचारियों की तैनाती की गई है.
(बस्तर से धर्मेंद्र महापात्र, सुकमा से धर्मेंद्र सिंह और कोरबा से गेंदलाल शुक्ल की रिपोर्ट)
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