Chhattisgarh Monsoon Update: छत्तीसगढ़ में कब आएगा मानसून? इस दिन होगी रिमझिम-रिमझिम बारिश

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Chhattisgarh Monsoon Update
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Chhattisgarh Monsoon Update: भीषण गर्मी से राहत पाने का इंतजार का सभी को है. अब इस बढ़े हुए तापमान को बारिश की फुहारें ही शांत कर सकती है. ऐसे में सभी को मानसून का बेशब्री से इंतजार है. सबके मन में एक ही सवाल है कि मामसून कब आएगा?

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, अगले तीन से चार दिनों में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी, बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों में मानसून के आगे बढ़ने के लिए परिस्थितिया अनुकूल हैं.

दक्षिण-पश्चिम मानसून 19 मई को निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ा. इसके बाद यह 26 मई तक चक्रवात रेमल के साथ दक्षिण के अधिकांश हिस्सों और बंगाल की खाड़ी के मध्य के कुछ हिस्सों को कवर कर लिया.

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यह क्रमशः सामान्य से दो और छह दिन पहले 30 मई को केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में एक साथ पहुंचा.

बीजापुर, सुकमा में 18 जून को पहुंचेगा मानसून

12 जून तक, यह धीरे-धीरे केरल, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के पूरे राज्यों; दक्षिणी महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों और दक्षिणी छत्तीसगढ़ और दक्षिणी ओडिशा के कुछ हिस्सों; और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और सभी पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश हिस्सों को कवर कर चुका था.

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आईएमडी ने कहा, "इसके बाद, मानसून आगे नहीं बढ़ा है और 18 जून को इसकी उत्तरी सीमा नवसारी, जलगांव, अमरावती, चंद्रपुर, बीजापुर, सुकमा, मलकानगिरी और विजयनगरम से होकर गुजरेगा."

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देश भर में कितनी बारिश का अनुमान?

आईएमडी ने बताया कि देश के 11 मौसम विज्ञान उप-विभागों में 1 से 18 जून के बीच सामान्य से लेकर बहुत अधिक वर्षा हुई है, जबकि 25 में बहुत कम वर्षा हुई है. पूर्वानुमान से पता चलता है कि जून में देश भर में औसत वर्षा सामान्य से कम (एलपीए के 92 प्रतिशत से कम) होने की संभावना है.

 दक्षिणी प्रायद्वीप के अधिकांश क्षेत्रों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की उम्मीद है, जबकि उत्तर-पश्चिम और उससे सटे मध्य भारत के कई क्षेत्रों के साथ-साथ पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम वर्षा होने का अनुमान है.

 आईएमडी ने मई के अंत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश में चार महीने के मानसून सीजन (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है, जिसमें कुल वर्षा 87 सेमी यानी एलपीए के 106 प्रतिशत होने का अनुमान है.

 पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम मानसूनी वर्षा, उत्तर-पश्चिम में सामान्य तथा देश के मध्य और दक्षिण प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है.

 मौसम विभाग ने कहा कि देश के अधिकांश वर्षा-आधारित कृषि क्षेत्रों को कवर करने वाले भारत के मुख्य मानसून क्षेत्र में इस मौसम में सामान्य से अधिक वर्षा होने का अनुमान है.

खेती के लिए मानसून जरूरी

 भारत के कृषि परिदृश्य के लिए मानसून महत्वपूर्ण है, क्योंकि कुल खेती योग्य क्षेत्र का 52 प्रतिशत हिस्सा इस पर निर्भर है. पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी यह महत्वपूर्ण है. कृषि के लिए जून और जुलाई को सबसे महत्वपूर्ण मानसून महीने माना जाता है क्योंकि खरीफ फसल की अधिकांश बुवाई इसी अवधि के दौरान होती है.

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