छत्तीसगढ़: कौन थे दिग्गज नेता लीलाराम भोजवानी? जानें पार्षद से लेकर मंत्री बनने तक का उनका सफर

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Chhattisgarh BJP leader Leelaram Bhojwani dies- भाजपा के वरिष्ठ नेता और अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री लीलाराम भोजवानी (Leelaram Bhojwani) का छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) की राजधानी रायपुर के एक अस्पताल में बुधवार को निधन हो गया. वह 82 वर्ष के थे.

भोजवानी के निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व सीएम रमन सिंह ने दुख जताया है. राजनांदगांव के रहने वाले भोजवानी को कुछ दिन पहले कुछ बीमारियों के इलाज के लिए रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने बुधवार रात अस्पताल में अंतिम सांस ली.

उनके पार्थिव शरीर को राजनांदगांव ले जाया गया जहां गुरुवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा. उनकी अंतिम यात्रा दोपहर करीब 3.30 बजे उनके घर से निकाली जाएगी और फिर उनके पार्थिव शरीर को जिला भाजपा कार्यालय में लोगों के लिए दिग्गज नेता को श्रद्धांजलि देने के लिए रखा जाएगा. अंतिम संस्कार लखौली मुक्तिधाम में होगा.

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सीएम बघेल ने दी श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भोजवानी के निधन पर शोक व्यक्त किया और आम लोगों के कल्याण में उनके योगदान को याद किया. उन्होंने कहा, ”भोजवानी जी का सार्वजनिक जीवन लंबा रहा और उन्होंने जीवन भर आम लोगों के कल्याण के लिए समर्पित भाव से काम किया।”

वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी भोजवानी के निधन पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा, “हमारे काकाजी (चाचा) श्री भोजवानी जी हमें छोड़कर चले गए हैं। यह मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है. भगवान उनके परिवार को दुख सहने की शक्ति दें और दिवंगत आत्मा को शांति दें।”

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जानें उनका सियासी सफर

लीलाराम भोजवानी पहली बार साल 1965 में राजनांदगांव नगर निगम में पार्षद चुने गए थे. उसके बाद साल 1990 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता और साल 1998 में भी विधायक बने. दो बार विधायक रहे भोजवानी 1990 में अविभाजित मध्य प्रदेश में सुंदर लाल पटवा सरकार में श्रम विभाग के राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया था. छत्तीसगढ़ को 2000 में मध्य प्रदेश से अलग कर बनाया गया था. उन्होंने साल 2000 से विधायक दल के कोषाध्यक्ष, राजनांदगांव भाजपा के जिला अध्यक्ष की भूमिका भी निभाई. वे पत्रकारिता से भी जुड़े रहे. इसके अलावा भोजवानी कई बार मजदूर, मुर्रा-पोहा मजदूरों, झुग्गी झोपड़ी वासियों की कई समस्याओं और सामाजिक संस्थाओं के आंदोलन के कारण जेल भी जा चुके थे

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