छत्तीसगढ़ को मिलेगा चौथा टाइगर रिजर्व, बघेल सरकार में हुआ था ऐलान, फिर क्यों हुई देरी?

ChhattisgarhTak

ADVERTISEMENT

 Chhattisgarh 4th tiger reserve
Chhattisgarh 4th tiger reserve
social share
google news

छत्तीसगढ़ सरकार ने बुधवार को राज्य में इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन के लिए गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभ्यारण्य के क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक नया टाइगर रिजर्व घोषित करने का फैसला किया.

इंद्रावती (बीजापुर जिले में), उदंती-सीतानदी (गरियाबंद) और अचानकमार (मुंगेली) के बाद यह राज्य का चौथा टाइगर रिजर्व होगा. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने 2014 में इस परियोजना को अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी.

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में उनके आधिकारिक आवास पर हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया.

ADVERTISEMENT

गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व 2,829.387 वर्ग किलोमीटर में फैला देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व होगा. आंध्र प्रदेश में नागार्जुनसागर श्रीशैलम बाघ अभयारण्य 3,296.31 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ भारत का सबसे बड़ा ऐसा अभयारण्य है, जिसके बाद असम का मानस बाघ अभयारण्य है, जो 2,837.1 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.

 

ADVERTISEMENT

इको-पर्यटन का होगा विकास

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि गुरु घासीदास-तमोर पिंगला बाघ अभयारण्य के निर्माण से इको-पर्यटन का विकास होगा और इसके मुख्य और बफर क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

ADVERTISEMENT

ये इलाके होंगे शामिल

राज्य वन्यजीव बोर्ड की सिफारिश और एनटीसीए, केंद्रीय वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सहमति के अनुसार, कैबिनेट ने 2,829.387 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले गुरु घासीदास-तमोर पिंगला बाघ अभयारण्य को अधिसूचित करने का फैसला किया है.

बयान में कहा गया है कि इस अभयारण्य में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला अभयारण्य के क्षेत्र शामिल होंगे, जो मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर जिलों में फैले हैं.

ऐसे होगी आगे की कार्रवाई

इसमें कहा गया है कि मामले में आगे की कार्रवाई के लिए राज्य के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को अधिकृत किया गया है. बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय बाघ परियोजना से अतिरिक्त बजट प्राप्त किया जाएगा, ताकि क्षेत्र के गांवों में आजीविका विकास के नए कार्य किए जा सकें.

लंबे संघर्ष के बाद हुआ ये फैसला...

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पिछले महीने राज्य सरकार को मध्य प्रदेश के वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे की ओर से दायर जनहित याचिका पर क्षेत्र को बाघ अभयारण्य घोषित करने के लिए अपना रुख स्पष्ट करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था.

बता दें कि 2012 में छत्तीसगढ़ में तत्कालीन रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के दौरान राज्य वन्यजीव बोर्ड ने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला अभयारण्य के संयुक्त क्षेत्र को बाघ अभयारण्य घोषित करने का फैसला किया था. दो साल बाद अगस्त 2014 में राज्य ने आवश्यक कार्रवाई के लिए एनटीसीए को प्रस्ताव भेजा. उन्होंने कहा कि एनटीसीए ने गुरु घासीदास-तमोर पिंगला बाघ अभयारण्य के निर्माण के लिए अक्टूबर 2014 में अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दी थी और राज्य सरकार से अंतिम प्रस्ताव मांगा था, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यह अगले चार से पांच वर्षों तक लंबित रहा.

सितंबर 2019 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि एनटीसीए की ओर से 2014 में इसे मंजूरी दिए जाने के बावजूद राज्य सरकार बाघ अभयारण्य को अधिसूचित करने में निष्क्रियता बरत रही है.

बघेल सरकार के दौरान क्या हुआ?

इसके बाद दिसंबर 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक के दौरान गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को बाघ अभयारण्य घोषित करने का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि एनटीसीए द्वारा 2021 में बाघ अभयारण्य के निर्माण के लिए अंतिम मंजूरी दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद राज्य प्राधिकरण की ओर से आगे कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी.

इस साल 15 जुलाई को हाईकोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य को इस क्षेत्र को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए राज्य के रुख के बारे में इस अदालत को सूचित करने के लिए 27 मार्च और 23 अप्रैल, 2024 को दो बार समय दिया गया था. जैसा कि प्रार्थना की गई थी, राज्य के वकील को चार सप्ताह और कोई और समय नहीं दिया जाता है."

उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद बुधवार को कैबिनेट ने टाइगर रिजर्व के निर्माण को मंजूरी दे दी.

राज्य के उत्तरी भाग में स्थित गुरु घासीदास-तमोर पिंगला के जंगल बांधवगढ़ (मध्य प्रदेश) और पलामू (झारखंड) टाइगर रिजर्व के बीच एक गलियारे के रूप में कार्य करते हैं. नया टाइगर रिजर्व बाघों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित करेगा और उनकी सुरक्षा को बढ़ावा देगा. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था, लेकिन इसे अधिसूचित नहीं किया जा सका. उन्होंने कहा कि इसकी अधिसूचना में देरी हुई, क्योंकि इस क्षेत्र में कोयला और मीथेन गैस के भंडार हैं.

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT