Chhattisgarh News: हेमचंद मांझी ने किया पद्मश्री लौटाने का ऐलान, नक्सलियों ने दी है बड़ी धमकी!

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Hemchand Manjhi
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हेमचंद मांझी
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Hemchand Manjhi News: पद्मश्री से सम्मानित वैद्यराज हेमचंद मांझी ने सोमवार को अपना अवार्ड लौटाने का ऐलान किया है. बस्तर में जारी नक्सली एनकाउंटर के बीच रविवार की रात नक्सलियों ने नारायणपुर में जमकर उत्पात मचाया वहीं मांझी पर दलाली का आरोप लगाते हुए उन्हें जान से मारने की धमकी दी.

नक्सलियों ने छोटेडोंगर के पद्मश्री वैद्यराज हेमचंद्र मांझी को आमदई खदान का दलाल कहते हुए देश से मार भगाने की बात कहीं है. राष्ट्रपति के साथ पुरस्कार लेते हुए हेमचंद मांझी की तस्वीर को नक्सली पर्चा में जारी कर उन्हें धमकी दी गई है. इसके बाद सोमवार को हेमचंद मांझी ने  पद्मश्री अवॉर्ड को लौटने की घोषणा करते हुए कहा कि जड़ी बूटियां से अब लोगों इलाज नहीं करेगें.

बता दें कि नक्सलियों ने हेमचंद मांझी के भतीजे कोमल मांझी की हत्या की थी. वहीं नक्सलियों की ओर से आमदई माइंस में दलाली करने का आरोप लगाकर हेमचंद मांझी को लगातार धमकी दी जा रही है. जिसके चलते पुलिस प्रशासन ने उन्हे जिला मुख्यालय के सेफ हाऊस में रखा है.

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राष्ट्रपति के हाथों 22 अप्रैल को मिला था पद्माश्री अवार्ड

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र नारायणपुर जिले में पिछले 50 वर्ष से वैद्यराज के रूप में अपनी सेवा दे रहे वैद्यराज हेमचंद मांझी को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में 22 अप्रैल को पद्मश्री से समानित किया. देसी जड़ी-बूटी और औषधि के जानकार हेमचंद मांझी इस क्षेत्र के साथ-साथ प्रदेश और देश के कोने-कोने से आने वाले कैंसर पीड़ित मरीजों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा देते आ रहे हैं.

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अवार्ड से लोगों में खुशियां, नक्सलियों में नाराजगी

हेमचंद मांझी ने क्षेत्र में वनों से मिलने वाली जड़ी-बूटियों से औषधि तैयार कर बड़ी संख्या में कैंसर पीड़ितों की जान बचाई है. यही वजह है कि सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली, मुंबई और देश के हर कोने से कैंसर पीड़ित हेमचंद मांझी के  पास पहुंचते हैं. इस क्षेत्र में वह वैद्यराज मांझी के नाम से जाने जाते हैं. हेमचंद मांझी को पद्मश्री से सम्मानित किए जाने से क्षेत्रवासियों के साथ-साथ प्रदेशवासियों में भी काफी खुशी है. जबकि नक्सलियों में भारी नाराजगी है.

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दो साल से नक्सलियों के टारगेट पर मांझी

 

माझी 20 साल की उम्र से ही जड़ी-बूटियों से औषधि तैयार कर रहे हैं. वह प्राचीन औषधि परंपराओं को आगे ले जाने का काम कर रहे हैं. वहीं नक्सलियों ने उन्हें कई बार धमकाया हैं. नक्सली उनपर छोटेडोंगर माइंस की दलाली करने का आरोप लगाते रहे हैं. वहीं वैद्यराज ने बताया कि उनके भतीजे की भी नक्सलियों ने हत्या कर दी लेकिन उन्होंने अपनी स्वास्थ सेवाएं जारी रखी. हालांकि पुलिस प्रशासन ने खतरे को देखते हुए उन्हें नारायणपुर में मकान उपलब्ध कराया है, जहां से वह अपनी सेवा दे रहे हैं.

 

देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी भेजी औषधि

मांझी की मकान में हर रोज 30 से अधिक कैंसर पीड़ित औषधि लेने के लिए पहुंचते हैं. साथ ही उनकी औषधि देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी भेजी गई है. क्षेत्र वासियों का मानना है कि वे नि:स्वार्थ भाव से सस्ती स्वास्थ्य सेवा पूरे ग्रामीणों को उपलब्ध करा रहे हैं.

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