साल 1933 में जब बिलासपुर आए थे बापू, सिक्कों ने बढ़ा दी थी मुसीबत

ADVERTISEMENT

ChhattisgarhTak
social share
google news

Mahatma Gandhi birth Anniversary Special- साल 1933 में नवंबर के महीने में जब कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी छत्तीसगढ़ पहुंचे थे. इस दौरान बिना किसी पूर्व योजना के वे अचानक बिलासपुर आ पहुंचे. रायपुर से बिलासपुर की सड़क यात्रा के दौरान जब लोगों ने उनके स्वागत के लिए फूलों के साथ-साथ सिक्के फेंके तो महात्मा गांधी इन सिक्कों से चोटिल हो गए. उन्हें बचाने के लिए बाद में उनके सर के ऊपर चार लोगों ने चादर तानी. ये ऐसी यादें हैं जिसे बिलासपुर के लोग आज भी सुनाते हैं.

बिलासपुर शहर के मिश्रा परिवार ने उस आराम कुर्सी को संभाल कर रखा है, जिसमें गांधी जी बैठकर खुली गाड़ी के जरिए बिलासपुर पहुंचे थे. वहीं जर्मनी की ऐतिहासिक बीपी नापने वाली मशीन भी संभाल कर रखी गई है जिससे गांधी जी के सेहत का ख्याल रखा जाता था.

अपनी इस यात्रा के दौरान बिलासपुर में महात्मा गांधी ने दो सभाएं भी की जो इतिहास के पन्नों पर अमर हो गया. बिलासपुर में उन्होंने जो सहयोग महिलाओं से मांगा, उन्हें नारी शक्ति ने उतनी ही उदारता से दिया भी..!

ADVERTISEMENT

 

महात्मा गांधी के बिलासपुर कनेक्शन पर छत्तीसगढ़ तक की विशेष रिपोर्ट-

ADVERTISEMENT

बिलासपुर में जिस सभा स्थल पर बनाए गए मठ पर बैठकर गांधी शहर की जनता को संबोधित कर रहे थे वहां भी एक दिलचस्प घटना हुई. उस जगह की मिट्टी, ईंट और रोडा तक लोग उठा कर ले गए ताकि वे अपनी स्मृतियों में महात्मा गांधी को सहेज सकें. इस दौरान बिलासपुर की महिलाओं ने महात्मा गांधी के स्वागत के लिए पृथक से कार्यक्रम रखा और इसी कार्यक्रम में महात्मा गांधी ने महिलाओं से जो कुछ मांगा, नारी शक्ति ने उनको समर्पित कर दिया.

ADVERTISEMENT

 

जब फूलों के साथ फेंके गए सिक्के…

बिलासपुर में मिश्र परिवार से मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी साल 1933 में  22 नवंबर से लेकर 23 नवंबर तक 5 दिनों के लिए छत्तीसगढ़ में थे. सबसे पहले वे रायपुर पहुंचे और वहां के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद बिलासपुर आए. दरअसल, बिलासपुर डॉ श्रीकांत मिश्र के पिता श्रीधर मिश्र ने महात्मा गांधी से आग्रह किया कि वे बिलासपुर आएं और यहां भी अपना उद्बोधन दें. इस निमंत्रण को महात्मा गांधी ने क्षण भर में स्वीकार कर लिया और बिना किसी पूर्व योजना के वे बिलासपुर के लिए निकल पड़े. इस दौरान नांदघाट में उनके स्वागत के लिए बड़ी भीड़ एकत्र हो गई थी. रास्ते भर में उनके स्वागत-सत्कार के लिए लोगों का हुजूम देखने लायक था. इस दौरान लोग राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर फूल बरसा रहे थे. कई लोग उस समय तांबे के सिक्के भी उनके ऊपर उछालने लगे. एक सिक्का जब महात्मा गांधी के सर पर जा लगा तो उनको बचाने के लिए उस गाड़ी में मौजूद डॉक्टर मिश्रा अन्य लोगों ने उनके सर के ऊपर चादर तानी और इस तरह उन्हें चोट लगने से बचाया गया. यह कहानी डॉक्टर मिश्रा के नाती शिवा मिश्रा ने छत्तीसगढ़ Tak को बताया.

 

गांधी ने जब महिलाओं से मांगा था सहयोग

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब बिलासपुर पहुंचे और उनके बड़े कार्यक्रम के सफल आयोजन के बाद डॉक्टर मिश्र के परिवार की महिलाओं ने उनको बताया कि कुछ महिलाएं उनसे मिलना चाहती हैं और उनका सम्मान करना चाहती हैं. इसके लिए बिलासपुर के मौजूदा कंपनी गार्डन में कार्यक्रम आयोजित किया गया. महात्मा गांधी ने महिलाओं से आग्रह किया और अपने कंधे पर रखे सफेद कपड़े को फैलाते हुए उन्होंने कहा कि देश की महिलाएं देश की आजादी के लिए जो सहयोग करना चाहती हैं वह करें. इस पर महात्मा गांधी के आग्रह को सुनते ही महिलाओं ने उतनी ही उदारता से उनके पास जो कुछ था वह उनको अर्पित कर दिया. किसी ने पल्लू में बंधे कुछ पैसे, तो किसी ने अपने जेवर, किसी ने करधन तक को महात्मा गांधी को उदारता से दे दिया.

इसे भी पढ़ें- बिलासपुर सेंट्रल जेल के बैरक नंबर 9 में लिखी गई वो कविता जिससे हिल गई थी अंग्रेजी हुकूमत, जानें पूरी कहानी

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT