भरत साहू अमर रहे... शहीद एसटीएफ कांस्टेबल की अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
शहीद एसटीएफ कांस्टेबल भरत लाल साहू की अंतिम यात्रा में शुक्रवार को रायपुर में भारी संख्या में लोग शामिल हुए और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए श्मशान घाट तक शोक की लहर दौड़ गई.
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शहीद एसटीएफ कांस्टेबल भरत लाल साहू की अंतिम यात्रा में शुक्रवार को रायपुर में भारी संख्या में लोग शामिल हुए और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए श्मशान घाट तक शोक की लहर दौड़ गई.
Chhattisgarh Naxal Attack- शहीद एसटीएफ कांस्टेबल भरत लाल साहू की अंतिम यात्रा में शुक्रवार को रायपुर में भारी संख्या में लोग शामिल हुए और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते हुए श्मशान घाट तक शोक की लहर दौड़ गई.
बुधवार रात छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के तर्रेम इलाके में नक्सलियों की ओर से किए गए आईईडी विस्फोट में शहीद हुए स्पेशल टास्क फोर्स के दो जवानों में साहू (38) भी शामिल थे. इस घटना में चार जवान घायल भी हुए हैं.
राजीव नगर मुक्तिधाम में साहू का अंतिम संस्कार किया गया, जहां उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने शहीद को भावभीनी विदाई दी. श्मशान घाट में पुलिसकर्मियों ने शहीद जवान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया.
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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उपमुख्यमंत्री शर्मा ने शाहू के ताबूत को अपने कंधों पर उठाया, जब उसे पुलिस ट्रक में रखा जा रहा था.
“शहीद कभी नहीं मरते, वे लोगों के दिलों में जीवित रहते हैं”
भावुक लोगों की यह भीड़ गुरुवार को साहू के भाई की कही गई बात को सटीक रूप से व्यक्त कर रही थी: “शहीद कभी नहीं मरते, वे लोगों के दिलों में जीवित रहते हैं.”
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शहीद बेटे के तीन बच्चों - 11 और 8 साल की दो बेटियों और 2 साल के बेटे - के साथ शोकाकुल पिता राम साहू (75) ने साहू को तिरंगे में लिपटा हुआ देखा, जिससे श्मशान घाट पर मौजूद लोग और भी भावुक हो गए.
साहू के बच्चों ने अपने चाचा (साहू के बड़े भाई) के साथ जलती हुई लकड़ियां थामीं और अंतिम संस्कार की चिता को आग लगाई. इससे पहले सुबह सीएम साय, डिप्टी सीएम शर्मा, जो गृह विभाग भी संभालते हैं, पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा और अन्य अधिकारियों ने यहां माना कैंप में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की चौथी बटालियन में उनके ताबूत पर पुष्पांजलि अर्पित करके साहू को श्रद्धांजलि दी.
साहू के परिवार के सदस्य भी वहां मौजूद थे. साहू की छोटी बेटी ने उनके ताबूत पर फूल चढ़ाए और हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम किया, जिससे यह क्षण मार्मिक बन गया.
‘उग्रवादी हताश हो गए हैं’
पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सलियों ने हताशा में कायराना हरकत की है और इस खतरे को जल्द ही खत्म कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा, "जब से हम सत्ता में आए हैं (पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद), हम नक्सलियों के खिलाफ मजबूती से लड़ रहे हैं और इसलिए, उग्रवादी हताश हो गए हैं. उन्होंने हताशा में कायराना हरकत की है."
उन्होंने कहा कि नक्सलियों को अब पीछे धकेल दिया गया है और वे केवल कुछ इलाकों तक ही सीमित रह गए हैं. साय ने कहा, "हमें (नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में) डबल इंजन वाली सरकार का लाभ मिल रहा है और जल्द ही हम नक्सलवाद को खत्म कर देंगे."
उन्होंने कहा, "मैं जवानों की शहादत को सलाम करता हूं और उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं." उन्होंने कहा कि जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.
साय और शर्मा ने जवान के पार्थिव शरीर को दिया कंधा
साय और शर्मा ने जवान के पार्थिव शरीर को उस समय कंधा दिया जब उसे पुलिस के फूलों से सजे मिनी ट्रक में रखा जा रहा था. माना कैंप से शव को मिनी ट्रक में रखकर साहू के घर आदर्श नगर, मोवा क्षेत्र में ले जाया गया. इस दौरान भारी भीड़ देशभक्ति के नारे लगा रही थी. उनके घर से राजीव नगर स्थित श्मशान घाट तक निकाली गई शव यात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. उन्होंने भरत लाल साहू अमर रहे, भारत माता की जय और नक्सलवाद मुर्दाबाद के नारे लगाए.
समाज अब इस खतरे को बर्दाश्त नहीं करेगा: शर्मा
पत्रकारों से बात करते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि भीड़ की ओर से नक्सलियों के खिलाफ लगाए गए नारे इस बात का संकेत हैं कि समाज अब इस खतरे को बर्दाश्त नहीं करेगा. जो लोग दूरदराज या शहरी क्षेत्रों में नक्सलियों का समर्थन कर रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि समाज में उनके खिलाफ काफी नाराजगी है. उन्होंने कहा कि सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक बस्तर के लोग भी इस खतरे से छुटकारा पाना चाहते हैं और विकास का स्वागत करना चाहते हैं.
बच्चों के सिर से उठा पिता का साया
साहू के परिवार में माता-पिता, पत्नी, दो बेटियां और एक छोटा बेटा है. इसके अलावा पांच भाई और दो बहनें हैं. वह फोर्स में परिवार के एकमात्र सदस्य थे. उनके पिता सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी हैं. साहू ने मोवा के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की, फिर आईटीआई और बीए की पढ़ाई पूरी की. 2009 में एसटीएफ में जाने से पहले वह 2007 में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में शामिल हुए. तब से वह बस्तर के विभिन्न इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ लड़ रहे थे. वह पिछले 15 सालों में नक्सलियों के खिलाफ कई ऑपरेशन और मुठभेड़ों का हिस्सा रहे हैं.
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