माता सीता ने अपने हाथों से बनाया था शिवलिंग, जानें छत्तीसगढ़ के इस मंदिर का रहस्य
छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहे जाने वाली राजिम स्थित कुलेश्वरनाथ पंचमुखी शिवलिंग पर पूजा करने दूर-दूर से लोग आते हैं. मान्यता है कि वनवास के दौरान माता सीता ने खुद इस शिवलिंग को अपने हाथों से बनाया था.
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छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहे जाने वाली राजिम स्थित कुलेश्वरनाथ पंचमुखी शिवलिंग पर पूजा करने दूर-दूर से लोग आते हैं. मान्यता है कि वनवास के दौरान माता सीता ने खुद इस शिवलिंग को अपने हाथों से बनाया था.
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Kuleshwarnath temple Rajim- छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहे जाने वाले राजिम में स्थित कुलेश्वरनाथ पंचमुखी शिवलिंग पर पूजा करने दूर-दूर से लोग आते हैं. मान्यता है कि माता सीता का खास कनेक्शन इस ऐतिहासिक मंदिर से है. मान्यता है कि वनवास के दौरान माता सीता ने खुद इस शिवलिंग को अपने हाथों से बनाया था.
छत्तीसगढ़ का “प्रयाग” कहे जाने वाले राजिम की पहचान पहले से ही आस्था, धर्म, संस्कृति की नगरी के नाम से विख्यात है. राजिम नगरी की धार्मिक पौराणिक ऐतिहासिक मान्यता है. राजिम अत्यंत ऐतिहासिक महत्व का स्थान है.
वनवास काल के दौरान त्रिवेणी के तट पर पहुंचे थे भगवान श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण. माता सीता ने अपने हाथों से पूजन के लिए बनाया था पंचमुखी शिवलिंग, जिसे आज कुलेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है. भगवान श्री राम के वनवास से जुड़ी राजिम की कहानी सुनें लोगों की जुबानी-
तीन नदियों का है संगम
यह स्थान इसलिए भी अनुकरणीय है, क्योंकि यहां तीन नदियों महानदी, पैरी और सोंढूर का पवित्र संगम है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है. इसी संगम के पूर्व में बसा राजिम अत्यंत प्राचीन समय से छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र रहा है. यहां मौजूद भगवान श्री राजीव लोचन जी और कुलेश्वर महादेव मंदिर का अपना अलग ही इतिहास है.
भगवान राम का ननिहाल है छत्तीसगढ़!
छत्तीसगढ़ की पहचान भगवान राम के ननिहाल के रूप में है. भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान काफी समय इसी प्रांत के जंगलों में बिताया था. यहां से भगवान राम का नाता बहुत ही गहरा है. उनका छत्तीसगढ़ के लोकसाहित्य, लोककथाओं और आम जीवन पर गहरा प्रभाव है. मान्यता है कि माता सीता और लक्ष्मण ने छत्तीसगढ़ में भगवान राम के साथ प्राचीन दंडकारण्य में 12 वर्ष बिताए थे.
राम-सीता और लक्ष्मण ने की शिवलिंगों की स्थापना
राजिम के त्रिवेणी संगम महानदी पैरी और सोंढूर के मध्य विराजित अद्भुत भगवान कुलेश्वरनाथ महादेव स्थित है. मान्यता है कि त्रेतायुग में वनवास काल के दौरान श्री रामचंद्र जी ने रामेश्वर महादेव की स्थापना की. लक्ष्मण ने लक्ष्मणेश्वर नाथ महादेव की स्थापना खरौद में की. वहीं माता जानकी “सीता” ने प्रयाग धाम राजिम में कुलेश्वरनाथ महादेव की स्थापना की. राजिम के त्रिवेणी संगम पर स्थित कुलेश्वरनाथ पंचमुखी शिवलिंग के रूप में विद्यमान है.
राजिम में माता सीता ने बनाई थी शिवलिंग
जनश्रुति के अनुसार वनवास के समय माता सीता ने राजिम में अपने आराध्य भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए स्वयं अपने हाथों से बालू ( रेत ) से शिवलिंग बनाई. उसकी पूजा-अर्चना और आराधना करते समय अंगुलियों से अर्ध्य देने पर इस मूर्ति के पांच स्थानों से जलधारा फूल निकली थी, जिससे शिवलिंग ने पंचमुखी आकार ले लिया.
कुलेश्वरनाथ महादेव से कुछ दूरी पर संत लोमश ऋषि का आश्रम है. यहां वनवासकाल के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण रुके थे. साल 2024 में अयोध्या में वर्षों बाद भगवान श्री राम लला के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होने जा रहा है, जिसे लेकर भी लोगों में उत्साह नजर आ रहा है.
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