Naxalism in CG: बस्तर के इस गांव में दशकों बाद स्कूल में गूंजेगी बच्चों की आवाज! देखिए, ये खास रिपोर्ट
26 जून का दिन बीजापुर के कुछ गांवों के लिए यादगार रहा. वजह यह थी की दो दशक के लम्बे इंतजार के बाद कुछ गांवों में घंटी की आवाज से स्कूलों में रौनक आई है.
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26 जून का दिन बीजापुर के कुछ गांवों के लिए यादगार रहा. वजह यह थी की दो दशक के लम्बे इंतजार के बाद कुछ गांवों में घंटी की आवाज से स्कूलों में रौनक आई है.
Naxalism in CG: छत्तीसगढ़ में 26 जून को पूरे प्रदेश में शाला प्रवेशोत्सव हर्षोल्लास के साथ जरूर मनाया गया, लेकिन 26 जून का दिन बीजापुर के कुछ गांवों के लिए यादगार रहा. वजह यह थी की दो दशक के लम्बे इंतजार के बाद कुछ गांवों में फिर से घंटी की आवाज से स्कूलों में रौनक आई है.
दरअसल साल 2005 में जब बस्तर में नक्सल हिंसा के खिलाफ सलवा जुडूम के नाम से जनआंदोलन ने जन्म लिया था तब नक्सलियों के खिलाफ आम आदिवासी का यह सशस्त्र विद्रोह था, लेकिन शांति स्थापना के उद्देश्य से जन्मा यह जनांदोलन अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका जिसका परिणाम यह रहा कि जुडूम के उस दौर में बीजापुर में ना सिर्फ सैकड़ों गांव उजड़ गए बल्कि दर्जनों स्कूलों पर भी ताला लग गया. कही फोर्स के भय से नक्सलियों ने स्कूलों को निशाना बनाया तो कही नक्सलियों के भय से स्कूल स्वतः बंद हो गए.
बांस-बल्लियों के सहारे तैयार झोपड़ी में गांव का स्कूल दोबारा शुरू हुआ. इस मौके पर पहुंचे बीजापुर कलेक्टर अनुराग पाण्डे ने ग्रामीणों के साथ पूजा-अर्चना कर बच्चों को रोली टीका लगाकर स्कूल में प्रवेश कराया गया. दूर माओवाद प्रभावित कांवडगांव (Kanvadgaon) में कैसे और किन चुनौतियों को लांघ कर दो दशक बाद स्कूलों के दरवाजे वापस खुले? देखिए, ये खास रिपोर्ट
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