PM Modi Bastar Rally: बस्तर में पीएम की रैली से पहले भड़की कांग्रेस, पूछा- मोदी और शाह कब तोड़ेंगे चुप्पी?
छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी लड़ाई तेज हो गई है. बस्तर में प्रधानमंत्री मोदी की रैली से पहले कांग्रेस ने उनसे कई सवाल पूछे हैं.
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![PM Modi Bastar Rally: बस्तर में पीएम की रैली से पहले भड़की कांग्रेस, पूछा- मोदी और शाह कब तोड़ेंगे चुप्पी? PM Modi dialled the Union Home Minister (R) from his ongoing France visit to take stock of flood-like situation in Delhi. (File Photo)](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/chtak/images/story/202404/6613a2008ba05-modishah1jpeg-085127756-16x9.jpeg?size=948:533)
PM Modi Bastar Rally: छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी लड़ाई तेज हो गई है. बस्तर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से पहले कांग्रेस ने उनसे कई सवाल पूछे हैं. कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने में "विफल" रहे हैं. उन्होंने पूछा कि क्या वह कभी आदिवासी कल्याण के लिए सार्थक रूप से प्रतिबद्ध होंगे.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, "यहां (बस्तर) भाजपा के व्यवहार से पता चला है कि कॉर्पोरेट पूंजीपतियों के साथ उनकी दोस्ती लोगों के प्रति उनके कर्तव्य की भावना से कहीं अधिक गहरी है."
रमेश ने कहा, "हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री इस पर कुछ प्रकाश डाल सकते हैं कि वह राज्य में आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने में क्यों विफल रहे हैं."
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उन्होंने दावा किया कि "राज्य के फेफड़े" माने जाने वाले घने, जैव विविधता से भरपूर हसदेव अरण्य वन को भाजपा और उनके "पसंदीदा साथी" अदाणी एंटरप्राइजेज से खतरा है.
पीएम और बीजेपी पर बरसे जयराम
कांग्रेस नेता ने कहा, "जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी, तो इस पवित्र जंगल की रक्षा के लिए केंद्रीय कोयला मंत्रालय की ओर से इस जंगल में हमारे 40 कोयला ब्लॉक रद्द कर दिए गए थे. जब से भाजपा वापस आई है, उन्होंने इस फैसले को पलट दिया है और आदिवासी समूहों और कार्यकर्ताओं के उग्र विरोध के बावजूद अदाणी के स्वामित्व वाले परसा कोल ब्लॉक में खनन फिर से शुरू कर दिया है."
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उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन कर रहे नेताओं का कहना है कि हसदेव अरण्य के विनाश से आदिवासी समुदायों की आजीविका को अपूरणीय क्षति होगी, साथ ही पर्यावरण और वन्य जीवन को भी गंभीर क्षति होगी, जिससे मानव-हाथी संघर्ष की स्थिति और खराब हो सकती है. रमेश ने पूछा, "प्रधानमंत्री और भाजपा इतनी बेरहमी से छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदायों की भलाई को कैसे खतरे में डाल सकते हैं."
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‘मनमोहन सिंह सरकार ने की थी नगरनार स्टील प्लांट की परिकल्पना’
कांग्रेस नेता ने कहा कि पीएम मोदी ने पिछले साल अक्टूबर में बहुत धूमधाम से नगरनार स्टील प्लांट को जनता को समर्पित किया था, जिसकी परिकल्पना और पहल मनमोहन सिंह सरकार ने की थी.
उन्होंने कहा, "बस्तर के लोगों को उम्मीद थी कि 23,800 करोड़ रुपये का यह विशाल संयंत्र बस्तर के विकास को बड़ी गति देगा और स्थानीय युवाओं के लिए हजारों अवसर पैदा करेगा. वास्तव में, भाजपा सरकार 2020 से इस संयंत्र का निजीकरण करने की योजना बना रही है, जब वे अपने करीबियों को 50.79% की बहुमत हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया."
अमित शाह को दिलाई वादे की याद...
जयराम रमेश ने कहा कि पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले, गृह मंत्री अमित शाह बस्तर आए थे और वादा किया था कि संयंत्र का निजीकरण नहीं किया जाएगा, लेकिन तथ्य यह है कि भाजपा सरकार ने अभी तक इस दावे को मान्य करने के लिए ठोस आश्वासन नहीं दिया है.
रमेश ने पूछा, "क्या बीजेपी कोई सबूत दिखा सकती है कि उसने इस स्टील प्लांट को अपने कॉर्पोरेट दोस्तों को बेचने का कभी इरादा नहीं किया था और न ही कभी करेगी."
‘कांग्रेस सरकार ने ऐतिहासिक वन अधिकार अधिनियम किया था पेश’
रमेश ने दावा किया कि 2006 में, भारत के आदिवासी समुदायों का दशकों पुराना संघर्ष समाप्त हो गया जब कांग्रेस सरकार ने ऐतिहासिक वन अधिकार अधिनियम पेश किया.
उन्होंने दावा किया, "यह अधिनियम सीमांत और आदिवासी समुदायों को वन भूमि पर अपने अधिकारों का दावा करने का मार्ग प्रदान करता है, जिस पर वे पारंपरिक रूप से निर्भर रहे हैं. पिछले साल, जब पीएम मोदी ने वन संरक्षण संशोधन अधिनियम पेश किया, तो यह सारी प्रगति पूर्ववत हो गई."
कांग्रेस ने पूछा- पीएम तोड़ेंगे चुप्पी
रमेश ने आगे दावा किया कि नया अधिनियम 2006 के वन अधिकार अधिनियम को कमजोर करता है, जिससे विशाल क्षेत्रों में वन मंजूरी के लिए स्थानीय समुदायों की सहमति और अन्य वैधानिक आवश्यकताओं के प्रावधानों को खत्म कर दिया गया है.
उन्होंने आरोप लगाया, ''निस्संदेह, इरादा हमारे जंगलों तक पहुंच प्रधानमंत्री के कॉरपोरेट मित्रों को सौंपना है.''
उन्होंने कहा, "क्या प्रधानमंत्री कभी जल-जंगल-ज़मीन के नारे पर दिखावा करना बंद करेंगे और सार्थक रूप से आदिवासी कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होंगे?" रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी से इन मुद्दों पर अपनी 'चुप्पी' तोड़ने को कहा.
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