छत्तीसगढ़ चुनाव: नक्सली हिंसा के बीच पहले चरण में 71 फीसदी मतदान, जानें अहम बातें

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Chhattisgarh Assembly Elections 2023- छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मंगलवार को 20 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए लगभग 71 प्रतिशत का मतदान दर्ज किया गया. वोटिंग के दौरान नक्सली हिंसा और बहिष्कार के आह्वान के बीच अलग-अलग समय स्लॉट में मतदान हुआ.

नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की कड़ी सुरक्षा के बीच 10 सीटों पर सुबह 7 बजे से दोपहर 3 बजे तक और बाकी 10 सीटों पर सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक वोट डाले गए.

गौरतलब है कि पहले चरण के मतदान के लिए करीब 1 लाख सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं.

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एक चुनाव अधिकारी ने कहा, “मंगलवार को छत्तीसगढ़ चुनाव के पहले चरण में शाम 5 बजे तक 70.87 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. हालांकि, यह आंकड़ा बढ़ सकता है क्योंकि कई बूथों से अंतिम डेटा अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है.”

2018 के विधानसभा चुनावों में मंगलवार को हुए कुल 20 निर्वाचन क्षेत्रों में से 17 पर कांग्रेस और दो पर भाजपा ने जीत हासिल की. फिलहाल यहां की 20 में से 19 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.

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पिछले विधानसभा चुनाव में पहले चरण की 18 सीटों पर 76.47 फीसदी मतदान हुआ था. इस बार पहले चरण में दो और विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है.

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रमन-अकबर-बैज समेत इन दिग्गजों की किस्मत ईवीएम में कैद

मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रमन सिंह, छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रमुख और सांसद दीपक बैज और भूपेश बघेल कैबिनेट के कम से कम तीन मंत्रियों का राजनीतिक भाग्य ईवीएम में बंद हो गया. दीपक बैज (चित्रकोट सीट), राज्य के मंत्री कवासी लखमा, मोहन मरकाम और मोहम्मद अकबर मैदान में प्रमुख उम्मीदवारों में से थे.

लखमा (कोंटा) और मरकाम (कोंडागांव), कांग्रेस विधायक चंदन कश्यप (नारायणपुर) और सावित्री मंडावी (भानुप्रतापपुर) ने अपनी-अपनी सीटों से वोट डाला.

भाजपा उम्मीदवार और पूर्व मंत्री केदार कश्यप (नारायणपुर), महेश गागड़ा (बीजापुर), विक्रम उसेंडी (अंतागढ़) और लता उसेंडी (कोंडागांव) ने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया.

राजनांदगांव में रमन सिंह का मुकाबला कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन से हैं. सिंह ने अपने गृहनगर कवर्धा में मतदान किया.

मंगलवार को जिन 20 सीटों पर मतदान हुआ, उनमें से 12 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 25 महिलाओं सहित कुल 223 उम्मीदवार मैदान में थे और मतदाता सूची के अनुसार, 40,78,681 मतदाता पहले चरण में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के पात्र थे.

 

नक्सली हिंसा के साए में हुआ मतदान

सुकमा, नारायणपुर, बीजापुर और कांकेर जिलों से हिंसा की घटनाएं सामने आईं. सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में चार सुरक्षाकर्मी घायल हो गए, जबकि मतदान के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग क्षेत्र वर्चस्व अभियान के दौरान उसी जिले के टोंडामरका शिविर के पास एक आईईडी विस्फोट में सीआरपीएफ कमांडो घायल हो गए. नारायणपुर, बीजापुर और कांकेर जिलों में भी नक्सलियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच गोलीबारी हुई. हालांकि, उन घटनाओं में सुरक्षाकर्मियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा.

चुनाव प्राधिकरण द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि बस्तर संभाग के 126 गांवों के निवासियों ने खुशी जताई क्योंकि आजादी के बाद सात वामपंथी उग्रवादी (एलडब्ल्यूई) प्रभावित जिलों में उनके गांवों में पहली बार मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे.

2018 में पुलिस बल में शामिल हुईं पूर्व नक्सली सुमित्रा साहू ने पहली बार मतदान किया. उन्होंने नारायणपुर निर्वाचन क्षेत्र में मतदान किया.

भाजपा नेता रतन दुबे के परिवार के सदस्यों ने भी वोट डाला, जिनकी पिछले सप्ताह नारायणपुर जिले में पार्टी के लिए प्रचार करते समय नक्सलियों ने हत्या कर दी थी.

 

अब 70 सीटों पर नजर

शेष 70 विधानसभा क्षेत्रों के लिए दूसरे चरण में 17 नवंबर को मतदान होगा और वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी. कांग्रेस, जो एक और कार्यकाल चाह रही है और विपक्षी भाजपा, जिसने 2018 के चुनावों में भारी अंतर से हारने से पहले 15 वर्षों तक राज्य पर शासन किया था, सत्ता के मुख्य दावेदार हैं.

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