छत्तीसगढ़ चुनाव: भाजपा ने परिवर्तन यात्रा की शुरुआत के लिए बस्तर और सरगुजा को क्यों चुना?

सुमी राजाप्पन

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Chhattisgarh BJP Parivartan Yatra- इस बार भारतीय जनता पार्टी (BJP) चुनावी राज्य छत्तीसगढ़ में हर मोर्चे पर अपनी सक्रियता दिखाने की कोशिश करती नजर आ रही है. पार्टी ने अपनी चुनावी गतिविधियों को तेज करने के लिए जिस तरह मध्य प्रदेश और राजस्थान में आशीर्वाद और परिवर्तन यात्राएं निकाली हैं, उसी तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ में भी वह परिवर्तन यात्रा निकालने जा रही है. इसकी शुरुआत 12 सितंबर को बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले से होगी. 16 सितम्बर को सरगुजा संभाग के जशपुर में भी यह यात्रा निकलेगी और इसका समापन बिलासपुर के मैदानी क्षेत्र में 28 सितंबर को किया जाएगा. भाजपा की ओर से यह यात्रा छत्तीसगढ़ में 20 साल बाद निकाली जा रही है. 90 विधानसभा सीटों वाले छत्तीसगढ़ में इस यात्रा के जरिए पार्टी 44 सीटों पर अत्यधिक फोकस करेगी.

पार्टी सूत्रों ने बताया कि इस परिवर्तन यात्रा में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व शामिल होंगे. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह के शामिल होने की संभावना है. वहीं पार्टी की कोशिश है कि बिलासपुर में परिवर्तन यात्रा के समापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो सकें. हालांकि इस पर कोई आधिकारिक तौर पर जानकारी पार्टी ने नहीं दी है.

बस्तर और सरगुजा ही क्यों?

इस यात्रा में सबसे अहम बात जगहों का चुनाव है. दरअसल पार्टी आदिवासी क्षेत्र बस्तर और सरगुजा से इस यात्रा की शुरुआत करने वाली है. वरिष्ठ पत्रकार अजय भान बताते हैं कि सरगुजा और बस्तर इन दोनों समूहों की सांस्कृतिक महत्ता है क्योंकि दोनों आदिवासी बाहुल्य बेल्ट है. वहीं पार्टी अपनी हर एक यात्रा की शुरुआत दंतेश्वरी या महामाया के आशीर्वाद के साथ करती है. दूसरा करण यह भी है कि पहले डॉ रमन सिंह पार्टी के इकलौते बड़े नेता थे और वह अपनी हर यात्रा की शुरुआत दंतेश्वरी माता के आशीर्वाद से ही करते थे. लेकिन अब प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को भी पार्टी नजरअंदाज नहीं कर सकती. लिहाजा यात्राएं दो जगहों से निकाली जाएगी.

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भान बताते हैं कि डॉ. रमन सिंह लंबे समय से पार्टी में हाशिए पर चल रहे थे. हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान से साफ कर दिया है कि भले ही पार्टी रमन सिंह के नेतृत्व में 2023 का चुनाव ना लड़े लेकिन उनको वही तवज्जो दिया जाएगा जो पहले दिया जाता था. यात्रा के दौरान एक समन्वय भी बनाने की कोशिश की जा रही है. सरगुजा से इसकी शुरुआत को लेकर भान का कहना है कि यहां से पार्टी यात्रा की शुरुआत इसलिए करने वाली है ताकि टीएस सिंह देव और मुख्यमंत्री के बीच अनबन का फायदा पार्टी को मिले.

दोनों जगहों पर प्रदर्शन सुधारना चाहती है पार्टी

राजनीतिक विशेषज्ञ दिवाकर मुक्तिबोध की मानें तो 2018 विधानसभा के चुनाव में जिस तरह भाजपा का प्रदर्शन था उसे वह ठीक करने की कोशिश में लगी हुई है. परिवर्तन यात्राओं का फोकस 2023 के चुनाव पर तो है ही साथ ही 2024 के संसदीय चुनाव पर भी है. अगर विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो 2018 में सरगुजा और बस्तर की सारी सीटें बीजेपी के हाथ से निकल गई थीं. लिहाजा जो ये धब्बा है इसे पार्टी पूर्ववत करने की कोशिश कर रही है. जिस तरह से भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी की छवि बदल गई बिल्कुल उसी तरह से परिवर्तन यात्रा से भी भाजपा को फायदा हो सकता है. ऐसी यात्राओं से राजनीतिक दल को फायदा ही होता है.

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वहीं अजय भान भी कहते हैं कि भाजपा ने 2018 में जहां सबसे खराब प्रदर्शन किया था उसे सुधारना पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती और प्रथमिकता है. अगर वोट बैंक की बात करें तो पार्टी 29 प्रतिद्वंद्वी सीटों पर काफी जोर लगाती नजर आ रही है और परंपरागत रूप से आदिवासी वोट बैंक 70 फीसदी कांग्रेस के पास है और 30% भाजपा के पास है. इस यात्रा के जरिए भाजपा कांग्रेस के 70% वोट बैंक को अपनी तरफ आकर्षित कर अपना प्रदर्शन सुधारना चाहती है.

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