अटैक, छापे और नई सियासत… साल 2023 में इन घटनाओं का गवाह रहा छत्तीसगढ़

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Chhattisgarh 2023- साल 2023 में छत्तीसगढ़ कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा. इस दौरान विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत, महादेव सट्टेबाजी ऐप मामला, घातक नक्सली हमले और नौकरियों के लिए नग्न युवाओं का विरोध प्रदर्शन सहित ईडी की कार्रवाइयों की सीरीज प्रमुख घटनाएं रहीं. हालांकि चुनाव साल के अंत में हुए थे, लेकिन पूरे छत्तीसगढ़ में चुनावी माहौल बना हुआ था और भाजपा, कांग्रेस और आप के शीर्ष नेता रैलियों और बैठकों के लिए राज्य का लगातार दौरा कर रहे थे और अपनी रणनीति बना रहे थे.

बड़ी आदिवासी आबादी वाले राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में चलाए गए जोरदार अभियान के बाद भाजपा ने निर्णायक जनादेश में कांग्रेस से सत्ता छीन ली.

छत्तीसगढ़ को मिला आदिवासी सीएम

भगवा पार्टी का एक प्रमुख आदिवासी चेहरा विष्णु देव साय दिसंबर में नए मुख्यमंत्री बने, जबकि पहली बार भाजपा विधायक अरुण साव और विजय शर्मा को डिप्टी सीएम नियुक्त किया गया.

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नक्सल अटैक ने दहलाया

चुनावी वर्ष में राजनीति पर बढ़ते फोकस के बीच, नक्सलियों ने 26 अप्रैल को दंतेवाड़ा जिले में एक एमयूवी को उड़ाकर दस पुलिसकर्मियों और एक ड्राइवर की हत्या कर दी, यह ढाई साल में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों पर उनका सबसे बड़ा हमला था.

ईडी की छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित कोयला लेवी, शराब और महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप घोटालों को लेकर तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के कई नेताओं, व्यापारियों और नौकरशाहों के परिसरों पर छापे मारकर कांग्रेस पर दबाव बढ़ा दिया.

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चुनाव में कांग्रेस की हार

नवंबर में दो चरणों में हुए चुनावों में, जिसके परिणाम 3 दिसंबर को घोषित किए गए, भाजपा ने 54 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की, जिससे 90 सदस्यीय विधानसभा में अब तक की सबसे अधिक सीटें मिलीं और कांग्रेस केवल 35 सीटों के साथ काफी कमजोर स्थिति में रह गई.

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भाजपा ने भ्रष्टाचार, हिंदुत्व, लोकलुभावन वादों की श्रृंखला और सर्वेक्षणकर्ताओं की भविष्यवाणियों को मात देने और नाटकीय वापसी करने के लिए पीएम मोदी के करिश्मे को एक साथ जोड़कर अपनी कहानी तैयार की. 2003 से लगातार तीन बार छत्तीसगढ़ में सत्ता में रहने के बावजूद 2018 में बीजेपी की सीटें घटकर 15 रह गईं थीं.

कांग्रेस ने मतदाताओं को लुभाने के लिए तत्कालीन भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का प्रदर्शन किया, , ‘छत्तीसगढ़ियावाद’ (क्षेत्रीय कार्ड) और एक धरती पुत्र नेता के रूप में बघेल की लोकप्रियता को भुनाने का प्रयास किया गया.

कांग्रेस-बीजेपी की नई रणनीति…

कांग्रेस ने फरवरी में रायपुर में अपना 85वां अधिवेशन आयोजित किया था जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी जैसे शीर्ष नेता मौजूद थे। इसने अपनी राज्य इकाई में अंदरूनी कलह को रोकने के लिए पार्टी संगठन और मंत्रिमंडल में भी फेरबदल किया.

पिछली सरकार में मंत्री टीएस सिंह देव, जो बघेल के साथ विवाद में थे, उनको जून में डिप्टी सीएम नियुक्त किया गया था. जुलाई में, कांग्रेस ने मोहन मरकाम की जगह पार्टी सांसद दीपक बैज को अपना राज्य प्रमुख नियुक्त किया, मरकाम को बाद में कैबिनेट में शामिल किया गया. बता दें कि सिंहदेव, बैज और मरकाम चुनाव हार गये.

चुनाव प्रचार के दौरान, महादेव सट्टेबाजी ऐप मामले और राज्य सार्वजनिक सेवा की चयन और मूल्यांकन प्रक्रियाओं में कथित अनियमितताओं को लेकर मोदी, शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने कांग्रेस और तत्कालीन सीएम बघेल पर भी भारी हमला किया.

चुनावों से पहले, ईडी ने एक फोरेंसिक विश्लेषण और एक “कैश कूरियर” के एक बयान का हवाला देते हुए दावा किया कि महादेव सट्टेबाजी ऐप प्रमोटरों ने सीएम बघेल को अब तक लगभग 508 करोड़ रुपये का भुगतान किया है और “यह जांच का विषय है”.

ईडी ने अलग-अलग मामलों में आईएएस अधिकारी रानू साहू, शराब व्यवसायी और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर और उत्पाद शुल्क विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी को भी गिरफ्तार किया.

अपने अभियान के तहत, भाजपा ने अप्रैल में बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में हुई सांप्रदायिक हिंसा को भी बड़े पैमाने पर उजागर किया. इसने साजा सीट से ईश्वर साहू को भी मैदान में उतारा, जिनका बेटा हिंसा में मारा गया था. साहू ने मंत्री और प्रभावशाली कांग्रेस नेता रवींद्र चौबे को हराया.

जोगी की पार्टी को मिली नाकामी

इस चुनाव में राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत अजीत जोगी द्वारा स्थापित जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रभाव में भी गिरावट देखी गई क्योंकि दोनों पार्टियां अपना खाता खोलने में विफल रहीं. 2018 में जेसीसी (जे)-बीएसपी गठबंधन ने सात सीटें जीती थीं। इस बार बीएसपी ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीपीपी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा, जिसे सिर्फ एक सीट मिली.

दिवंगत अजीत जोगी की पत्नी और पिछली विधानसभा में विधायक रेनू जोगी कोटा से हार गईं, जबकि उनके बेटे पाटन से हार गए. अकलतरा में अजीत जोगी की बहू ऋचा जोगी को हार का सामना करना पड़ा.

आम आदमी पार्टी 2018 के चुनावों की तरह एक बार फिर राज्य में शून्य पर सिमट गई.

नक्सल गतिविधियां रहीं जारी

नक्सलियों के बहिष्कार के आह्वान के बावजूद, माओवाद प्रभावित बस्तर संभाग और चार अन्य जिलों के 20 निर्वाचन क्षेत्रों में पहले चरण के चुनाव में 78 प्रतिशत मतदान हुआ.

पुलिस के अनुसार, 2023 के नवंबर तक राज्य में नक्सली हिंसा में 25 सुरक्षाकर्मी और 41 नागरिक मारे गए. 2022 में यह आंकड़ा क्रमशः 10 और 36 था. इसी तरह, नवंबर तक सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 19 नक्सली मारे गए, जो साल 2022 में 30 थे.

धर्मांतरण, नग्न प्रदर्शन और राजेश विश्वास…

जनवरी में, राज्य तब खबरों में था जब कथित धर्म परिवर्तन का विरोध कर रहे आदिवासियों ने नारायणपुर जिले में एक चर्च में तोड़फोड़ की और पुलिस अधीक्षक को घायल कर दिया, क्योंकि उन्होंने और अन्य पुलिस कर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी.

जुलाई में, नग्न लोगों के एक समूह ने राजधानी रायपुर में विरोध प्रदर्शन किया और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जिन्होंने कथित तौर पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र का उपयोग करके सरकारी नौकरी हासिल की थी.

राज्य के खाद्य निरीक्षक राजेश विश्वास मई में तब राष्ट्रीय सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने अपना फोन निकालने के लिए कांकेर जिले में एक जलाशय से 40 लाख लीटर से अधिक पानी बहा दिया था, जिसमें उनका फोन गलती से गिर गया था.  पानी की भारी बर्बादी को लेकर विश्वास और जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया.

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