देश किसका: किसानों ने बढ़ा दी किसकी मुसीबत? चुनाव में होगा ‘खेला’

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Chhattisgarh Lok Sabha Election: किसान संगठन दिल्ली चलो आंदोलन कर रहे हैं. फसलों के लिए MSP की गारंटी समेत बाकी मांगें पूरी कराने के लिए वे हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं. इस बीच शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा (farmers) ने भारत बंद का ऐलान किया. वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने इस बंद का समर्थन करते हुए व्यापारियों से सहयोग की अपील की थी. बावजूद इसके बंद का असर नहीं दिखा. ऐसे में अब सवाल उठता है कि किसानों को अपने पक्ष में करने का कांग्रेस (Congress) का दांव कहीं फेल तो नहीं हो जाएगा.

दिल्ली के पास जारी किसानों के आंदोलन को कांग्रेस ने पहले ही समर्थन दे दिया है. अंबिकापुर में न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने ऐलान किया था कि अगर केंद्र में इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है, तो हमारी सरकार किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देगी. इस दौरान राहुल ने कहा था कि स्वामीनाथन जी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा है कि किसानों को एमएसपी का कानूनी अधिकार मिलना चाहिए. लेकिन भाजपा सरकार ऐसा नहीं कर रही है.

कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक

राहुल गांधी ने कहा कि अगर इंडिया गठबंधन सत्ता में आया तो स्वामीनाथन रिपोर्ट की सभी सिफारिशों का सम्मान करेगा. यह हमारी शुरुआत है. हमारा घोषणापत्र तैयार किया जा रहा है. हम किसानों और मजदूरों के लिए काम करने जा रहे हैं. बता दें लोकसभा चुनाव से पहले किसानों के लिए किए गए इस ऐलान को कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है.

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बघेल ने बीजेपी को घेरा

वहीं पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी किसानों के समर्थन में आकर बीजेपी को लगातार घेर रहे हैं. उन्होंने कहा कि किसानों के साथ दुश्मनों जैसा बर्ताव किया जा रहा है. किसानों को उनका हक मिलना चाहिए. उनकी मांग जायज है.

इन शहरों में बंद का दिखा असर

अब बात करते हैं कि किसानों के इस बंद का असर छत्तीसगढ़ में कितना दिखा. कांग्रेस ने भरपूर कोशिश की वो इस बंद को सफल बना सके लेकिन ऐसा होते हुए नजर नहीं आया. बिलासपुर में औपचारिक तौर पर इंडिया गठबंधन और अन्य संगठनों ने बिलासपुर के नेहरू चौक पर विरोध प्रदर्शन किया. लेकिन प्रदर्शन में ज्यादातर कुर्सियां खाली रही. वहीं बैकुंठपुर में बंद का मिला-जुला असर देखने को मिला और कोरबा में भी कुछ ऐसा ही हाल रहा.

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सुकमा में दिखा तगड़ा असर

इसके अलावा भिलाई स्टील प्लांट के सभी यूनियन नेता बोरिया गेट में प्रदर्शन करते हुए नजर आए. इसके अलावा राजधानी रायपुर के तुता धरना स्थल पर किसानों का प्रदर्शन देखने को मिला लेकिन सुकमा में सबसे ज्यादा बंद का असर देखने को मिला. यहां अधिकतर दुकानें बंद दिखाई दीं.

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तो कुल मिलाकुर यूं कहें कृषि प्रधान राज्य होने के बावजूद किसानों ने ही इस बंद को उतना समर्थन नहीं दिया. आम लोगों में भी इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस का ये दांव चल नहीं पाया.

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