Chhattisgarh Lok Sabha Election 2024: सरगुजा कांग्रेस में 4 दिग्गजों का जोर, कौन मारेगा बाजी?

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Chhattisgarh Lok Sabha Elections 2024- कांग्रेस (Congress) का मजबूत गढ़ माने जाने वाले सरगुजा (Sarguja News) में वापसी के लिए अब कांग्रेस ने कमर कस ली है. आदिवासियों को साधकर बीजेपी (BJP) के सत्ता में वापसी करने के बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ गई है. ऐसे में कांग्रेस पुराने चेहरों पर दांव खेलकर सरगुजा का रण जीतने के लिए जोर लगा सकती है. सियासी जानकारों की मानें तो सरगुजा लोकसभा सीट पर कांग्रेस एक बार फिर से पुराने चेहरों पर भरोसा जता सकती है.

कांग्रेस के गढ़ को बीजेपी ने किया ध्वस्त

विधानसभा चुनाव के नतीजों को भूलकर अब कांग्रेस लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी में जुट गई है लेकिन कांग्रेस के मजबूत गढ़ कहे जाने वाले सरगुजा को विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार में सरगुजा संभाग के 14 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पूरी बाजी पलट दी. इन 14 सीटों में कांग्रेस को एक जीत के लिए तरसना पड़ गया, यानी इन 14 सीटों को बीजेपी ने अपने कब्जे में ले लिया. ऐसे में अब कांग्रेस के सामने चुनौतियां कम नहीं है.

पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का जादू खत्म

सरगुजा संभाग में कांग्रेस के दिग्गज नेता और सरगुजा महाराज टीएस सिंहदेव का अपना एक बड़ा रुतबा रहा है. मगर डिप्टी सीएम बनने के बाद सिंहदेव को ना केवल खुद की विधानसभा सीट से हारना पड़ा, बल्कि पूरे सरगुजा संभाग में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा. सियासी जानकारों की माने तो कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री बनने को लेकर सिंहदेव और बघेल के आपसी खींचतान का असर सरगुजा संभाग में देखने को मिला.

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BJP को प्रत्याशी बदलने का मिला फायदा

सरगुजा लोकसभा सीट के अंदर कुल 8 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें सरगुजा जिले की अंबिकापुर, सीतापुर, लुंड्रा, बलरामपुर जिले की सामरी और रामानुजगंज-बलरामपुर. सूरजपुर जिले की प्रतापपुर, प्रेमनगर व भटगांव विधानसभा शामिल हैं. ये सीट ST यानी अनूसुचित जनजाति के लिए आरक्षित है. वैसे लोकसभा के लिहाज से देखा जाए तो सरगुजा में बीजेपी काफी मजबूत है. पिछले 4 बार से यहां बीजेपी चुनाव जीतते आ रही है और खास बात ये है कि बीजेपी ने हर लोकसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी बदले और सभी में बीजेपी को फायदा मिला है.

आंकड़ों पर नजर डालें तो छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में बीजेपी से नंदकुमार साय ने चुनाव जीता था. इसके बाद 2009 में मुरारी लाल चुनाव जीतकर सांसद बने. फिर 2014 में बीजेपी के कमलभान सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार राम देव राम को हराया था. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में रेणुका सिंह चुनाव जीतीं.. केंद्र की मोदी सरकार में छत्तीसगढ़ से किसी एक सांसद को कैबिनेट में जगह मिली तो वो भी सरगुजा की सांसद रेणुका सिंह, जिन्हे कैबिनेट में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में रेणुका सिंह ने भरतपुर-सोनहत से चुनाव जीता और फिर सांसदी से इस्तीफा दे दिया..

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कांग्रेस में कई दावेदार

विधानसभा में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. सरगुजा में टीएस सिंहदेव खुद अपनी सीट नहीं बचा पाए. ऐसे में कांग्रेस के लिए सरगुजा लोकसभा सीट बड़ी चुनौती है. कांग्रेस की तरफ से टिकट के दावेदारों की बात की जाए तो पूर्व शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम की यहां पर दावेदारी दिख रही है. प्रतापपुर से विधायक रह चुके प्रेम साय सिंह का इस बार कांग्रेस ने टिकट काट दिया था.

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उनके अलावा खेलसाय सिंह की भी मजबूत दावेदार माने जा रहे है. खेलसाय सिंह प्रेमनगर से 4 बार विधायक और तीन बार सांसद रह चुके हैं. हालांकि इस बार वो चुनाव हार गए. इन दोनों के अलावा एक और नाम चर्चा में है वो है अंबिकापुर के महापौर डॉ अजय तिर्की जिनको भी टिकट मिल सकता है. इस बार रामानुजगंज से कांग्रेस ने उन्हें प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वे भी चुनाव हार गए थे. वहीं 2009 में कांग्रेस की तरफ से लोकसभा चुनाव लड़ चुके राम देव राम भी इस लिस्ट में हैं. तो कांग्रेस की तरफ से फिलहाल ये चारों नामों की चर्चा जोरों पर है.

ऐसे में अब लोकसभा चुनाव में उनके अलावा कई सीनियर लीडर को मैदान में उतारा जा सकता है. बता दें छत्तीसगढ़ की राजनीति में आदिवासी बाहुल्य बस्तर और सरगुजा संभाग की राजनीति में बड़ी दखल रही है. यहीं वजह है कि सरगुजा के लिए सीट वाइस रणनीति बनाकर कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी में लगी है.

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