Chhattisgarh New CM: साय बन गए CM, पूरा हुआ अमित शाह का ‘बड़ा’ वादा

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Chhattisgarh New CM Vishnu Deo Sai-  भाजपा ने रविवार को दिग्गज आदिवासी नेता विष्णु देव साय (Vishnu Deo Sai) को छत्तीसगढ़ के अगले मुख्यमंत्री के रूप में चुना. इसके साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का एक बड़ा वादा भी पूरा हो गया. साय जहां प्रदेश के मुखिया होंगे वहीं अरुण साव और विजय शर्मा उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे. बता दें कि कांग्रेस को हराने के बाद अब बीजेपी शपथ ग्रहण की तैयारियों में जुट गई है. शपथ ग्रहण समारोह 13 दिसंबर को होगा.

रविवार दोपहर में रायपुर स्थित पार्टी के राज्य मुख्यालय में 54 नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में साय (59) को भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया.

 

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राज्यपाल ने दिया सरकार बनाने का न्योता

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन ने साय को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया और भाजपा की ओर से औपचारिक रूप से दावा पेश करने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति से संबंधित एक पत्र सौंपा.

साय के नेतृत्व में भाजपा विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल के राज्यपाल से मुलाकात के बाद वरिष्ठ भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने संवाददाताओं से कहा, “हमने राज्यपाल को एक पत्र सौंपा है जिसमें कहा गया है कि साय जी को विधायक दल का नेता चुना गया है.”

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बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने पत्र में कहा है कि साय को विधायकों ने बीजेपी विधायक दल का नेता चुना है और सरकार बनाने का दावा पेश किया है.

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राज्यपाल ने साय को बधाई दी और संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत मुख्यमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति से संबंधित एक पत्र सौंपा और उन्हें मंत्रिमंडल बनाने के लिए आमंत्रित किया.

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सर्बानंद सोनोवाल और मनसुख मंडाविया, छत्तीसगढ़ के लिए भाजपा प्रभारी ओम माथुर, नवनिर्वाचित भाजपा विधायक और अन्य उपस्थित थे.

 

विष्णुदेव साय ने क्या कहा?

साय ने कहा कि वह पीएम मोदी की ‘गारंटी’ को पूरा करने की कोशिश करेंगे और पीएम आवास योजना के लाभार्थियों के लिए 18 लाख घरों को मंजूरी देंगे, जो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के तहत लाभ से वंचित थे. यह सर्वोच्च प्राथमिकता होगी.

साय ने छत्तीसगढ़ में शीर्ष पद संभालने के लिए उन पर भरोसा जताने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी के अन्य नेताओं को धन्यवाद दिया.

बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में किये गये वादों को पूरा करना उनकी सरकार की प्राथमिकता होगी.

साय ने कहा, “छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में, मैं भाजपा के चुनाव पूर्व वादों को पूरा करने की कोशिश करूंगा, जो सरकार के माध्यम से पीएम मोदी की गारंटी है.”

उन्होंने कहा, “पांच वर्षों में (भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में), पीएम आवास योजना के 18 लाख लाभार्थी इस योजना के तहत लाभ से वंचित थे. इन लाभार्थियों के लिए 18 लाख घरों को मंजूरी देना राज्य में पहला काम होगा.”

साय ने कहा कि 25 दिसंबर को पूर्व प्रधान मंत्री (दिवंगत) अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर दो वर्षों के लिए धान खरीद का बोनस दिया जाएगा जो पिछली भाजपा सरकार (2013-2018) के दौरान लंबित था.

उन्होंने कहा कि अगले पांच साल में मोदी जी की सारी गारंटी और बीजेपी के चुनावी वादे पूरे हो जायेंगे.

 

बैठक में क्या हुआ?

भाजपा के तीन पर्यवेक्षक- केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और सर्बानंद सोनोवाल और पार्टी महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम- विधायकों की बैठक में शामिल हुए, इसके अलावा छत्तीसगढ़ के लिए भाजपा के प्रभारी ओम माथुर, केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया और राज्य के लिए पार्टी के सह-प्रभारी नितिन नबीन शामिल हुए.

बैठक में साय को विधायक दल का नेता चुनने का प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने रखा, जिसका अरुण साव और वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने समर्थन किया.

 

चौथे सीएम होंगे साय

साय प्रदेश के चौथे मुख्यमंत्री होंगे. उनके पूर्ववर्तियों में अजीत जोगी (कांग्रेस), रमन सिंह (भाजपा) शामिल हैं जिन्होंने 2003 से 2018 तक लगातार तीन बार राज्य की कमान संभाली, और भूपेश बघेल (कांग्रेस) जिन्होंने 2018 से दिसंबर 2023 तक यह पद संभाला.

 

बघेल ने साय को दी बधाई

बघेल ने साय को भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने पर बधाई दी.  बघेल ने एक्स पर लिखा, “कुनकुरी विधायक, वरिष्ठ भाजपा नेता श्री विष्णु देव साय जी को भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने पर बधाई एवं शुभकामनाएं.नवा छत्तीसगढ़ की न्याय और प्रगति यात्रा को आप मुख्यमंत्री के रूप में आगे बढ़ाएं, ऐसी कामना करता हूं.”

हाल ही में हुए चुनावों में भाजपा ने कुल 90 विधानसभा सीटों में से 54 सीटें जीतीं, जिससे कांग्रेस की सीटें घटकर 35 रह गईं.  गोंडवाना गणतंत्र पार्टी एक सीट जीतने में सफल रही.

 

पार्टी कार्यकर्ताओं से साय ने कह दी ये बात

मनोनीत सीएम शाम को राज्य अतिथि गृह ‘पहुना’ पहुंचे जहां उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की.

उन्होंने कहा,  “वास्तव में, यह एक बड़ी जिम्मेदारी (सीएम पद) और चुनौतीपूर्ण है, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि मुझे राष्ट्रीय नेतृत्व और सभी पार्टी विधायकों से मार्गदर्शन और समर्थन मिलता रहेगा.  पार्टी ने मुझे जो भी जिम्मेदारियां दी हैं, उनका मैंने निर्वहन किया है और मुझे विश्वास है कि इस बार भी मैं नई चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी को इसी तरह निभाऊंगा.”

यह पूछे जाने पर कि क्या शीर्ष पद पर उनकी नियुक्ति से पार्टी को ओडिशा और झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्यों में फायदा होगा, साय ने कहा कि देश के आदिवासी भाजपा से जुड़े हुए हैं क्योंकि वे अच्छी तरह से जानते हैं कि यह उनकी एकमात्र शुभचिंतक पार्टी है.

उन्होंने कहा, “द्रौपदी मुर्मू जी, जो एक आदिवासी समुदाय से आती हैं, भाजपा शासन में राष्ट्रपति बनीं. जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार सत्ता में थी तब एक अलग आदिवासी विकास मंत्रालय का गठन किया गया था. वाजपेयी जी छत्तीसगढ़ के संस्थापक भी थे.”

साय ने कांग्रेस पर आदिवासियों को वोट बैंक समझने का आरोप लगाया और कहा कि बीजेपी उनके कल्याण का ख्याल रखती है.

बाद में, साय राज्य की राजधानी में जय स्तंभ चौक गए और आदिवासी समुदाय के स्वतंत्रता सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह की पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की.

विधायक कॉलोनी स्थित अपने आवास पर पहुंचने पर उनके परिवार के सदस्यों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया.

 

कौन है साय?

पूर्व केंद्रीय मंत्री साय छत्तीसगढ़ भाजपा प्रमुख भी रह चुके हैं, पिछले महीने विधानसभा चुनाव में राज्य के सरगुजा संभाग की कुनकुरी सीट से विधायक चुने गए.

बता दें कि भाजपा ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 17 सीटें हासिल कीं, एक उपलब्धि जिसने पार्टी की जीत की संख्या में महत्वपूर्ण संख्याएं जोड़ दीं.

साय ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक गांव के सरपंच के रूप में की और महत्वपूर्ण संगठनात्मक भूमिकाएं निभाने के अलावा केंद्रीय मंत्री और कई बार लोकसभा सदस्य बने.

वह आदिवासी बहुल जशपुर जिले के एक छोटे से गांव बगिया में रहने वाले एक किसान परिवार से हैं.

1989 में, वह बगिया ग्राम पंचायत के ‘पंच’ के रूप में चुने गए और अगले वर्ष निर्विरोध सरपंच बन गए.

भाजपा के दिग्गज नेता दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव ने 1990 में साय को चुनावी राजनीति में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया था. उसी वर्ष, साय अविभाजित मध्य प्रदेश में तपकरा (जशपुर जिले में) से भाजपा के टिकट पर पहली बार विधायक चुने गए थे. 1993 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने यह सीट बरकरार रखी.

साय का आरएसएस के साथ भी अच्छे संबंध हैं.

2014 में पीएम मोदी के नेतृत्व में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद साय को इस्पात और खनन राज्य मंत्री बनाया गया था.

आदिवासी राजनेता ने 2006 से 2010 तक और फिर जनवरी से अगस्त 2014 तक भाजपा के छत्तीसगढ़ प्रमुख के रूप में कार्य किया.

2018 में राज्य में भाजपा की सत्ता खोने के बाद, उन्हें 2020 में फिर से छत्तीसगढ़ में पार्टी का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई.

 

शाह का वादा हुआ पूरा…

इस साल नवंबर में चुनावों से पहले साय को जुलाई में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य नामित किया गया था. चुनाव में उन्हें कुनकुरी (जशपुर जिला) से मैदान में उतारा गया, जहां उन्होंने कांग्रेस के मौजूदा विधायक यूडी मिंज को 25,541 वोटों से हराकर जीत हासिल की.

विशेष रूप से पिछले महीने कुनकुरी निर्वाचन क्षेत्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए, अमित शाह ने मतदाताओं से साय को चुनने का आग्रह किया था, और वादा किया कि अगर पार्टी राज्य में सत्ता में वापस आती है तो साय को “बड़ा आदमी” बना दिया जाएगा.

 

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