नंद कुमार साय ने क्यों छोड़ी कांग्रेस, क्या अब करेंगे ‘घर वापसी’?

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Nand Kumar Sai Politics-  छत्तीसगढ़ के दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने बुधवार को कांग्रेस (Chhattisgarh Congress) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले नंदकुमार साय बीजेपी (BJP) छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे. अब चुनाव के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया है.

नंदकुमार साय मोदी सरकार के दौरान राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष पद का भी जिम्मा संभाल चुके हैं. बीजेपी की ओर से राज्यसभा सदस्य रह चुके साय अविभाजित मध्यप्रदेश में भाजपा के अध्यक्ष रहे हैं. अब प्रदेश में नई सरकार के आने के बाद उनके इस कदम को लेकर सियासी गलियारों में अटकलें तेज हैं.

क्यों दिया इस्तीफा?

साय ने पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज को प्रेषित अपने इस्तीफे में लिखा है, “कुछ समय पूर्व किन्हीं स्थितियों के कारण मैंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी. कुछ दिनों तक रहकर पार्टी में निष्ठापूर्वक कार्य भी किए. मेरे सामने यथाकिंचित जो परिस्थितियां उत्पन्न हुई हैं, उसे देखकर मैं कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र दे रहा हूं. ”

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मई में थामा था कांग्रेस का दामन

एक मई को नंदकुमार साय ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी. तब नंदकुमार साय ने कहा था, “अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे लोगों के साथ रहा हूं लेकिन अब अटल-आडवाणी के दौर की बीजेपी उस रूप में नहीं है.”

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इस दौरान साय ने बघेल की तारीफ भी की थी. उन्होंने कहा था कि भूपेश बघेल सरकार ने बेहतर काम किया है. छत्तीसगढ़ में छोटे गांव और कस्बे अब शहर बन गए हैं.

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बीजेपी में कई बड़ी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं साय

उस वक्त साय ने भले ही किसी वजह से कांग्रेस की ओर रूख किया हो लेकिन यह भी गौर करने वाली बात है कि बीजेपी और संघ के साए में ही उन्होंने अपना लंबा सियासी सफर तया किया है. बता दें कि उत्तरी छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले नंदकुमार साय पहली बार साल 1977 में मध्य प्रदेश में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गए थे. वह साल 1980 में बीजेपी की रायगढ़ जिला इकाई के प्रमुख बनाए गए.  फिर साल 1985 में तपकरा से बीजेपी के टिकट पर विधायक चुने गए. नंदकुमार साय साल 1989, 1996 और 2004 में रायगढ़ से लोकसभा सदस्य और 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य भी चुने गए. नंदकुमार साय साल 2003 से 2005 तक छत्तीसगढ़ बीजेपी अध्यक्ष और इससे पहले साल 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश बीजेपी प्रमुख रहे.

क्यों हुआ मोहभंग, क्या होगा अगला कदम?

बहरहाल,  साय के हालिया कदम ने सबको चौंका कर रख दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि महज लगभग 9 महीने के भीतर साय का कांग्रेस से मोहभंग कैसे हो गया? क्या उनकी नाराजगी के पीछे कांग्रेस में उनकी उपेक्षा है या फिर कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने का गम… या फिर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद उनकी घर वापसी का इरादा… इन तमाम सवालों के जवाब नंद कुमार साय ही बखूबी दे सकते हैं.

इसे भी देखें- बीजेपी को लेकर क्या बोले नंद कुमार साय?

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