न्यूड प्रदर्शन पर सियासत तेज, जानें कांग्रेस को कैसे घेर रही है भाजपा

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छत्तीसगढ़ में विधानसभा के बाहर फर्जी प्रमाण पत्र को लेकर हुए नग्न प्रदर्शन ने प्रदेश में सियासी माहौल को गरमा दिया है. इसे लेकर मुख्य विपक्षी दल भाजपा कांग्रेस पर हमलावर है. माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले हुई इस घटना को भाजपा हर हाल में भुनाना चाहती है. लिहाजा भगवा पार्टी इस मामले में सत्तारूढ़ कांग्रेस को हर मोर्चे पर घेरने की रणनीति बना रही है. मंगलवार को भाजपा विधायक दल ने राज्यपाल से मुलाकात कर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार को बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर दी. हालांकि इस मामले में कांग्रेस पूर्ववर्ती रमन सिंह की सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है.

बीते दिन फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में युवाओं ने नग्न होकर विरोध प्रदर्शन किया. हालांकि प्रदर्शनकारी युवाओं को गिरफ्तार कर लिया गया है. वहीं देर शाम भाजपा विधायक दल पैदल मार्च कर राजभवन पहुंचे. विपक्षी दल ने राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को ज्ञापन सौंपकर राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ हुए नग्न प्रदर्शन की घटना पर संज्ञान लेकर जरूरी वैधानिक पहल करने की मांग की. बीजेपी विधायक दल ने कहा है कि विधानसभा मार्ग नग्न प्रदर्शन की इस घटना ने छत्तीसगढ़ को शर्मसार किया है. कांग्रेस सरकार की अकर्मण्यता के कारण युवाओं में उपजा आक्रोश नग्न प्रदर्शन की हद तक पहुंच गया.

एक बयान में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि प्रदेश की जनता का हक मारकर कांग्रेस की झोली भरना ही इस सरकार का एकमात्र उद्देश्य रह गया है. एससी एसटी वर्ग के युवाओं को निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन करने पर मजबूर करने के बाद भी दाऊ भूपेश बघेल ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई. उल्टा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर एक बार फिर अपने जंगलराज का नमूना प्रस्तुत किया है.

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नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने भी ट्वीट कहा, “रायपुर में एससी एसटी के युवाओं द्वारा इस असंवेदनशील, भ्रष्ट और सोई हुई कांग्रेस सरकार के विरुद्ध किए गए नग्न प्रदर्शन पर भाजपा विधायक दल के साथ राज्यपाल महोदय को ज्ञापन सौपा और  नकली जातिप्रमाण पत्रों के माध्यम से हुई नियुक्तियों पर जाँच बैठने की मांग की.”

इससे पहले नगरीय विकास मंत्री शिव डहरिया ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा कि भाजपा के डॉ. रमन सिंह के 15 साल के कार्यकाल में बहुत सारे लोगों ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पा ली है. लेकिन नौकरी पाने के बाद उन्हें सीधा नहीं हटाया जा सकता. उन्हें नोटिस दिया गया था. जांच की कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोगों ने कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी. कोर्ट ने बहुत सारे मामलों में स्टे भी दिया है. जिन मामलों में कोर्ट में स्टे है उसमें सरकार तुरंत कैसे कार्रवाई कर सकती है? डहरिया ने कहा, “इस मामले को हम शुरू से देख रहे हैं. बहुत लोगों के खिलाफ जांच भी हुई है और उनको हटाया भी गया है.”

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जानें क्या है पूरा मामला?

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छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से प्रदेश के कई विभागों को शिकायतें मिली थी कि गैर आरक्षित वर्ग के लोग आरक्षित वर्ग के कोटे का शासकीय नौकरियों और राजनैतिक क्षेत्रों में फायदा उठा रहे है. इसे लेकर राज्य सरकार नें उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति गठित भी की थी जिसके रिर्पोट के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी कर रहे अधिकारी कर्मचारियों को कई अहम पदों से फौरन हटा उन्हें बर्खास्त करने के आदेश जारी कर दिए. लेकिन युवाओं का गुस्सा तब बढ़ा जब यह आदेश सिर्फ खानापूर्ति साबित हुआ. इस आदेश को अमल में नहीं लाया गया और फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी करने वाले कुछ लोग सेवानिवृत तक हो गए. हालांकि सरकार की ओर से कहा गया कि इस मामले में कई लोगों के ऊपर कार्रवाई हुई है. हालांकि इसके खिलाफ कई लोग कोर्ट चले गए और कोर्ट ने स्टे लगा दिया है इसलिए सबके ऊपर कार्रवाई नहीं हो पाई है. वहीं जारी फर्जी प्रमाण पत्र धारकों की सूची में ऐसे ज्यादातर लोग हैं जो सरकारी फरमान को अमली जामा नहीं पहनाए जाने की वजह से अब भी विभिन्न पदों पर सेवाएं दे रहे हैं. इस मामले को लेकर लंबे समय से अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के युवाओं में आक्रोश है. बीते दिनों वे आमरण अनशन पर भी बैठ गए. लेकिन प्रदर्शन के दौरान आंदोलनकारियों की तबीयत बिगड़ने और शासन-प्रशासन के उदासीन रवैये की वजह से मानसून विधानसभा सत्र में निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी.

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