सरोज पांडेय की एंट्री से कोरबा में महामुकाबला, महंत की प्रतिष्ठा दांव पर

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राजनीतिक गढ़ कोरबा लोकसभा सीट में कांग्रेस पार्टी की ज्योत्सना महंत और भाजपा का प्रतिनिधित्व करने वाली सरोज पांडे के बीच एक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. सरोज पांडे की उम्मीदवारी की घोषणा ने राजनीतिक माहौल को तेज कर दिया है, जिससे कोरबा सीट पर पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है.

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छत्तीसगढ़ की हाईप्रोफाइल सीट कोरबा में पहली बार दो महिलाएं आमने-सामने हो रही है. राजनीतिक गढ़ कोरबा लोकसभा सीट में कांग्रेस पार्टी की ज्योत्सना महंत (Jyotsna Mahant) और भाजपा का प्रतिनिधित्व करने वाली सरोज पांडे (Saroj Pandey) के बीच एक दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. सरोज पांडे की उम्मीदवारी की घोषणा ने राजनीतिक माहौल को तेज कर दिया है, जिससे कोरबा सीट पर पेंच फंसता हुआ नजर आ रहा है. वहीं कांग्रेस हाईकमान ने इस सीट पर ज्योत्सना महंत पर लगातार दूसरी बार भरोसा जताया है. 

ज्योत्सना कांग्रेस के दिग्गज नेता और नेता प्रतिपक्ष डा चरण दास महंत की पत्नी हैं.साल 2018 विधानसभा चुनाव में चरणदास सक्ती विधानसभा से विधायक चुने गए थे और उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था. जिसके बाद साल 2019 लोकसभा में चरणदास की जगह उनकी पत्नी ज्योत्सना को टिकट दिया गया. वे पहली बार चुनावी मैदान में उतरी और बीजेपी प्रत्याशी ज्योतिनंद दुबे को  26 हजार मतों से हरा कर जीत अपने नाम किया.  साल 2019 में मोदी लहर के बावजूद कोरबा लोकसभा से ज्योत्सना चुनाव जीतने में सफल रही थी. लेकिन इस बार सरोज पांडे के सक्रिय रूप से मैदान में उतरने से महंत की चुनावी चुनौतियां और बढ़ गई हैं. अपने स्थापित राजनीतिक कद के बावजूद, महंत को सरोज पांडे के खिलाफ एक कठिन लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है.

अब बात की जाए बीजेपी की तेज तेजतर्रार नेत्री सरोज पांडेय की तो वें महापौर, विधायक और सांसद रह चुकी है. पांडे साल 2000 में पहली बार और साल 2005 में दूसरी बार दुर्ग की महापौर बनीं. सरोज साल 2008 में पहली बार वैशाली नगर से विधायक बनीं और साल 2009 के दुर्ग संसदीय सीट से सांसद बनी. सरोज साल 2013 में भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुकी है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सरोज पांडेय को कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू से हार का सामना भी करना पड़ा था. साल 2018 में पहली बार निर्वाचित राज्यसभा सदस्य बनीं. सरोज पांडेय को इस बार पार्टी ने दुर्ग की जगह कोरबा से टिकट दिया है. हालांकि अपने गृह क्षेत्र से बाहर की सीट पर लड़ने से सरोज के सामने चुनौतियां भी कम नहीं है. 

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अब थोड़ी बात कोरबा लोकसभा सीट को लेकर भी कर लेते हैं, तो इस लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. वर्तमान में 8 विधानसभा क्षेत्रों में से 6 सीटों पर भाजपा का कब्जा है. वोटिंग शेयर की बात की जाए तो कोरबा लोकसभा में बीजेपी का वोटिंग शेयर भी फिलहाल ज्यादा है. वहीं सरोज पांडे की उम्मीदवारी ने भाजपा की स्थिति को और मजबूत कर दिया है. इस सीट पर स्थानीय और बाहरी के मुद्दे पर जहां कांग्रेस सेंध लगाती दिख रही है तो बीजेपी मौजूदा सांसद के कामों को मु्द्दा बना रही है. ऐसे में ये देखना बेहद दिलचस्प है कि इस सीट पर कौन किस पर भारी पड़ती है.

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